Monday, April 20, 2020

कविता

हम तो आवारा झोंके हैं ,कौन जाने किधर जायेंगे,
टकरायेंगे, टूटेंगे भी ,और फिर बिखर जायेंगे
यूँ रुक ही जाना हमारी फितरत नहीं यारो ,
कुछ देर ठहरेंगे, और फिर गुजर जायेंगे।

किसी के काम आये, जिंदगी जाये तो गम नहीं,
सोने-चाँदी, दौलत-शौहरत के मुहताज हम नहीं,
हमें तमन्ना ही नहीं किसी और चीज की यारो ,
तुम बस प्यार दो हमें हम निखर जायेंगे ।

गर दुनिया सागर है, गमो का, तो भी कुछ ग़म नहीं ,
टकरायेंगे लहरों से, लड़खड़ायेंगे भी, और संभल जायेंगे,
बस इतना रहम करना, की देखना तुम किनारे से ,
हम तूफानों के पार, यूँ ही निकल जायेंगे।

हम तो आवारा झोंके है कौन जाने किधर जायेंगे
टकराएंगे टूटेंगे भी और फिर बिखर जायेंगे
                               - Vijay

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